तुम्हारे शहर में नया था मैं और कुछ ख्वाब पुराने से, सभी अपने से लगते थे यहां और मैं तुम्हारे शहर में नया था मैं और कुछ ख्वाब पुराने से, सभी अपने से लगते थे यह...
बूँद बनूँ झर जाऊँ बूँद बनूँ झर जाऊँ
तुमसे मेरी हर अभिलाषा तुमसे मेरी हर अभिलाषा
तुम्हारे होंठ तुम्हारे होंठ
कहीं दिन तो कहीं अंधकार कैसे होता है मैं सोचता हूं अक्सर ये संसार कैसे होता है। कहीं दिन तो कहीं अंधकार कैसे होता है मैं सोचता हूं अक्सर ये संसार कैसे होता...
तुम्हारे साथ का अनजान सफर तुम्हारे साथ का अनजान सफर